विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रत्येक ५ मिनट पर एक व्यक्ति आत्महत्या करता है... जहाँ पहले आत्महत्या का कारण मानसिक अवसाद एवं मानसिक बीमारियाँ हुआ करती थीं, वहीँ अब छोटी-२ बातों को लेकर लोग आत्महत्या करने लगे हैं... लोगों की सहनशक्ति धीरे-२ कम होती जा रही है...
आजकल जिस तरह समाज में मानसिक अवसाद की समस्या बढती जा रही है, उसे देखकर स्वामी विवेकानंद जी के बचपन की एक कहानी मुझे बरबस याद आ जाती है... लीजिये जरा आप भी इस कहानी पर एक दृष्टि डाल लीजिये; शायद आपको भी सुकून-ए-एहसास की कुछ बूंदे मयस्सर हो जाएँ.....
एक बार की बात है, नरेन्द्र (स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम) कहीं जा रहे थे... अचानक से उनके पीछे एक कुत्ता पड़ गया... नरेन्द्र ने डर के मारे भागना शुरू कर दिया... कुत्ता भी उन्हें भागता देख उनके पीछे हो लिया... वो डर कर और तेज भागने लगे, कुत्ते ने भी अपनी speed बढ़ा दी... न तो नरेन्द्र ही हार मानने को तैयार थे ना ही कुत्ता... अचानक ही नरेन्द्र को किसी ने कंधे से पकड़कर रोक लिया... उन्होंने मुड़कर देखा, सामने माँ खड़ी थीं...
" छोड़ो माँ, वरना कुत्ता मुझे काट लेगा ", नरेन्द्र ने डरते हुए कहा...
" नहीं काटेगा, ज़रा मुड कर देख ", माँ ने जवाब दिया...
नरेन्द्र ने मुड़कर देखा, कुत्ता अपनी जगह चुपचाप खड़ा था...
अब तू इसकी आँखों में ऑंखें डाल कर देख, जैसे कि तुझे इससे डर नहीं लगता और अब उल्टा इसको भगा...
कुत्ते ने जैसे ही नरेन्द्र को अपनी तरफ आते हुए देखा, वो डर कर उल्टी दिशा में भागने लगा...
अब आगे-२ कुत्ता, पीछे-२ नरेन्द्र... फिर नरेन्द्र की माँ ने समझाया कि जब तक हम किसी चीज से डरकर भागते रहते हैं, वो चीज हमें डराती रहती है... डटकर उसका सामना करो, ताकि वो खुद डरकर भाग जाये...
इस कहानी से मिली शिक्षा को हम अपने जीवन में भी लागू कर सकते हैं... हममें से अधिकांश लोग जिन्दगी की अनगिनत समस्यायों से घबरा कर या तो मानसिक अवसाद से घिर जाते हैं या आत्महत्या जैसा घिनौना मार्ग अपना लेते हैं, जबकि आत्महत्या एक अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान भर है... अगर हम शांतिपूर्वक बैठ कर सोचें तो हर समस्या अपने- आप में ही कई समाधान छुपाये होती है, बस उन्हें ढूँढने भर की देर होती...
जब तक हम समस्यायों से डरकर भागते रहेंगे, हम उनसे कभी मुक्त नहीं हो पाएंगे... जरूरत ये है कि हम उन समस्यायों के आगे लोहे की दीवार बन कर खड़े हो जाएँ, ताकि वो हमसे टकराकर खुद ढेर हो जाएँ... एक और बात किसी व्यक्ति को इतनी अहमियत ना दें कि उसका आपकी जिन्दगी में होना या ना होना, आपके मानसिक अवसाद का कारण बन जाये... ये बात मैं इसलिए कह रही हूँ क्योंकि भारत में आत्महत्या का सबसे प्रमुख कारण प्रेम में असफलता है... एक प्रसिद्ध उक्ति है :-
" No One can make You Happy except YOU ".....
विशेष :- जब भी आपको बेवजह की उदासी या निराशा घेरने लगे, तो सचेत हो जाएँ कि मानसिक अवसाद आप पर हावी हो रहा है... यही सही वक़्त है कि आप निराशा को परे धकेल कर सकारात्मक सोच की ओर कदम बढ़ाएं... जिसके लिए आप निम्न वाक्यों को बार-२ अपने मन में दोहराएँ, जो वायस बनेंगे आपको निराशा के अंधकार से उबारकर एक उद्देश्यपूर्ण जिन्दगी जीने की ओर प्रेरित करने में.....
" मैं जैसा हूँ, सबसे अच्छा हूँ... मेरी हर समस्या के कई समाधान हैं, बस मैं उन्हें खोज नहीं पा रहा हूँ... लोग, समय और स्थितियां सब में बदलाव होता है...। "
X X X X X
achha likha hai
जवाब देंहटाएंचलना ही जीवन है!
जवाब देंहटाएंi always quote-
जवाब देंहटाएंjust because today is a
terrible day doesn't mean
tomorrow won't be the
best day of your life.
you just gotta get there.....
सच कहा आपने...हमारी खुशी हमारे हाथ में है....
अनु
बिल्कुल सही कहा आपने ... आभार
जवाब देंहटाएंकल 01/08/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' तुझको चलना होगा ''
आभार...!
हटाएंसमस्या से भागने से उसका समाधान नहीं होता , उसका मुकबला करने से समाप्त होती है !
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रेरक !