कभी एक सड़क के किनारे एक भिखारी बैठा करता था... वो हमेशा भीख में १ रु. का सिक्का ही लेता था, कोई ज्यादा देना भी चाहे, तो मना कर देता था... एक दिन एक व्यक्ति उसकी परीक्षा लेने के उद्देश्य से उसके पास गया और उसे १०००/- का नोट निकाल कर देने लगा...उस भिखारी ने इंकार की मुद्रा में सिर हिलाते हुए व्यक्ति की तरफ मुस्कुरा कर देखा...
व्यक्ति ने हैरत से पूँछा, "क्यों नहीं ?"...
भिखारी ने उसी तरह मुस्कराहट को होंठों पर सजाये रखा और धीरे से जवाब दिया,
"बाबूजी, आप भी मुझे १०००/- का नोट इसलिए दे रहे हैं, क्योंकि आपको पता है कि मैं लूँगा नहीं... आप जैसे कई आते हैं मेरी परीक्षा लेने के लिए... कई तो रोज इसी चाहत में आते हैं कि किसी दिन तो मेरा ईमान डिगेगा और १/- का सिक्का देकर चले जाते हैं... अगर मैं यहाँ सिर्फ भीख मांगने बैठा होता, तो कोई ५० पैसे का सिक्का भी नहीं देता, उलटे दुत्कार कर और चला जाता..."
" ये दुनिया एक भीड़ है, बाबूजी और जो भी इस भीड़ से अलग हटकर खड़े होने की हिम्मत दिखाता है, उसी को ये दुनिया देखती है और सिर माथे पर बैठाती है..."
शिक्षा:- दुनिया लीक पर चलने वालों को भाव नहीं देती, इसलिए लीक से हट कर चलने कि हिम्मत दिखाइए... एक कहावत भी है,
" लीक-२ गाड़ी चलै, लीकहि चलै कपूत..
ये तीनों उलटे चलें, शायर, सिंह, सपूत..."
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दुनिया रंग-रंगीली...
जवाब देंहटाएंबात कुछ उल्टी मालूम होती है। लीक से हटने वाले हमेशा संदेह की नज़र से देखे जाते हैं। कइयों को जान तक गंवानी पड़ी है। बहुधा,ऐसे लोग मरणोपरांत ही सम्मान पाते हैं।
जवाब देंहटाएंमहात्मा गाँधी, स्वामी विवेकानंद, राजा राम मोहन रॉय, ईश्वर चन्द्र विद्या सागर आदि महापुरुषों का नाम लीक से हट कर चलने वालों में ही शामिल है, श्रीमन...
हटाएंअडिग अटल .... कुछ हटकर - हमेशा नज़रों में आता है
जवाब देंहटाएंफिर होती है परीक्षा , हर कोई डिगाना चाहता है
दुनिया मौन को भी नहीं बक्शती !
http://kuchmerinazarse.blogspot.in/2012/07/blog-post_28.html
जवाब देंहटाएंइस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कहानी.....और दी गयी सीख भी अपनाने योंग्य..
भीड़ में अपनी पहचान यूँ ही नहीं बनती....
आभार
अनु
आप सभी का बहुत-२ धन्यवाद... :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया सीख,,, दुनिया कुछ अलग मांगती हैं,क्यूंकि भीड़ में कोई नही दिखता |
जवाब देंहटाएंमेरा ब्लॉग आपके इंतजार में -
"मन के कोने से..."