आज मैं उस विषय पर
संक्षेप में लिखने जा रही हूँ, जो अक्सर ही मेरे मर्म को भेदता है...
मैंने ये महसूस किया है कि लोगों के बीच में गाँधी की बस इतनी सी पहचान है
कि उन्होंने भगत सिंह को मरवा दिया, अंग्रेज सरकार से उन्हें बचाने के
लिए भीख नहीं मांगी...
इस विषय में मैं इतना ही कहूँगी कि गाँधी को समझना इतना भी आसान नहीं, विरोध में तो बहुत कुछ लिखा जा सकता है...
जहाँ तक भगत सिंह को बचाने की बात है, तो भगत सिंह मरे नहीं थे, शहीद हुए थे और शहीद स्वयं देशहित में अपने प्राण त्यागते हैं, जो कि भगत सिंह ने भी किया... एक शहीद को बचाने की बात करना उनका अपमान करना हुआ...गाँधी जी और भगत सिंह आपस में कितना प्रेम करते थे, ये लोगों की समझ से परे का विषय हो सकता है...
आगे भी मैं गाँधी जी से जुड़े हुए कुछ पहलू और उनसे जुडी हुयी भ्रांतियों से आपको परिचित कराती रहूंगी, जो अक्सर मेरे मन को व्यथित करते रहते हैं...
ये मेरी श्रद्धांजलि होगी उनके लिए...
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इस विषय में मैं इतना ही कहूँगी कि गाँधी को समझना इतना भी आसान नहीं, विरोध में तो बहुत कुछ लिखा जा सकता है...
जहाँ तक भगत सिंह को बचाने की बात है, तो भगत सिंह मरे नहीं थे, शहीद हुए थे और शहीद स्वयं देशहित में अपने प्राण त्यागते हैं, जो कि भगत सिंह ने भी किया... एक शहीद को बचाने की बात करना उनका अपमान करना हुआ...गाँधी जी और भगत सिंह आपस में कितना प्रेम करते थे, ये लोगों की समझ से परे का विषय हो सकता है...
आगे भी मैं गाँधी जी से जुड़े हुए कुछ पहलू और उनसे जुडी हुयी भ्रांतियों से आपको परिचित कराती रहूंगी, जो अक्सर मेरे मन को व्यथित करते रहते हैं...
ये मेरी श्रद्धांजलि होगी उनके लिए...
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badiya jaankari..
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