आज
स्कूल में बहुत चहल-पहल थी। लावण्या स्कूल में घुसते ही अपनी बड़ी-२ आँखों से चारों
तरफ़ देख रही थी, पर फ़िर भी उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। चारों तरफ़ की
तैयारियों को देख कर लगा तो उसे कि कोई विशेष बात है; पर दिमाग पर ज्यादा जोर ना
देकर वो अपनी क्लास में चली गई। वहाँ भी किसी लड़की को कुछ नहीं पता था।
दूसरे
पीरियड में नैतिक शिक्षा वाली टीचर ने क्लास में प्रवेश किया। क्लास में घुसते ही
उन्होंने लावन्या सहित ३ लड़कियों को जो पढ़ने मे अच्छी मानी जाती थीं, खड़ा किया।
फ़िर आगे कहना शुरू किया,
“किसी
ने DM Office में शिकायत दर्ज़ की है कि इस स्कूल
में छात्राओं से ‘बिल्डिंग फ़ीस’ के नाम पर मनमाने पैसे वसूल किए जा रहे हैं। अभी
कुछ देर में वहाँ से कुछ लोग निरीक्षण के लिए आएँगे। प्रत्येक कक्षा से ३ छात्राओं
को बुलाया जाएगा और उनसे केवल एक पर्ची पर हाँ या ना लिखने को कहा जाएगा। आप लोग
वहाँ जाएँगी और पर्ची पर ‘नहीं’ लिख कर उसे वहाँ रखे बॉक्स में डाल देंगी।”
“लेकिन
दीदी बिल्डिंग फ़ीस तो हमसे ली गई है।” लावण्या ने आश्चर्य और कौतूहल से पूँछा।
“तुम्हें
बोर्ड-परीक्षा में बैठना है या नहीं?” टीचर पैर पटकते हुए चली गईं।
कुछ
देर बाद लावण्या अन्य कई लड़कियों के साथ एक कमरे में थी। उसने सोच लिया था कि वो
‘हाँ’ ही लिखेगी; वैसे भी किसी को क्या पता चलेगा। तभी उसने देखा ‘नैतिक शिक्षा’
वाली वही टीचर उसके बगल में आके खड़ी हो गई हैं और वो तब तक वहीं खड़ी रहीं, जब तक
उसने पर्ची पर बेमन से ‘नहीं’ लिख कर उसे बॉक्स में डाल नहीं दिया।
DM Office से आए हुए लोग ये कहकर वापस चले गए कि शायद किसी ने झूठी शिकायत की होगी।
आखिरी
पीरियड ‘नैतिक शिक्षा’ का होता था। जिस पीरियड के लिए अन्य लड़कियाँ उदासीनता
दिखाती थीं, क्योंकि उन्हें घर जाने की जल्दी होती थी; वहीं लावण्या हमेशा इस
पीरियड के लिए उत्साहित रहती थी। पर ना जाने क्यों, आज उसके कदम उस क्लास में जाने
के लिए उठ ही नहीं रहे थे...............!
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