क्या आपने कभी होम्योपैथिक दवा बिना ये वाक्य कहे खाई है कि ‘फ़ायदा तो होना नहीं है, फ़िर भी खा लेते हैं’ और केवल यही नहीं, जितने मुँह उतनी बातें; होम्योपैथी को लेकर इतने मिथक समाज में फ़ैले हैं कि बस पूछिए मत। ‘होम्योपैथी देर से असर करती है’ या ‘असर ही नहीं करती’ या ‘इन राई बराबर ४ छोटे दानों में कितनी दवा आती है? ये केवल लोगों को धोखा देना भर है’; तो भई सच कहूँ तो इन ४ दानों में इतना जादू है कि आप रात भर में किसी अस्पताल के बेड पर नजर आओगे और असर भी देर से नहीं, चुटकियों में होगा। सच तो ये है कि लोग केवल सुनी-सुनाई बातों पर यकीन करते हैं। भरोसा तो तभी होगा ना, जब आप कुछ दूर यकीन करके इसके साथ चलेंगे?
दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे हैं, जो भरोसा करने को तो तैयार हैं, पर इस दवा के साथ दी गई विशेष हिदायत कि ‘दवा खाने के आधे घण्टे पहले और बाद में कुछ खाना-पीना नहीं है’ से इतना परेशान हो जाते हैं कि इसे खाना ही नहीं चाहते। उन्हें ऐलोपैथी की कड़वी दवा मंजूर है, उससे शरीर पर होने वाले बुरे प्रभाव भी मंजूर हैं; पर वे दिन में सिर्फ़ ३ या ४ घण्टे मुँह में बिना कुछ डाले नहीं रह सकते। मुझे इस सोच पर सिर्फ़ हँसी ही नहीं आती, बल्कि दु:ख भी होता है कि इतनी महान् खोज सिर्फ़ लोगों के गलत रवैये की वजह से आज इस हालत में है।
लोग ऐलोपैथी के ‘साइड इफ़ेक्ट्स’ झेल लेंगे, परन्तु होम्योपैथी दवा नहीं लेंगे! |
अब तक आप के मन में शायद ये बात आ चुकी होगी कि मैं ये सब लिख कर या कह कर ऐलोपैथी का विरोध करना चाहती हूँ। अगर आप ऐसा सोच रहे हैं, तो आप बिल्कुल गलत हैं। मेरा रवैया नकारात्मक कतई नहीं है और ऐलोपैथी को खारिज करना तो मेरा मकसद है ही नहीं। हर पैथी की अपनी अलग विशेषता और उपयोगिता है। कुछ ऐसी जगहें हैं, जहाँ होम्योपैथी ज्यादा कारगर है और कुछ जगहों पर ऐलोपैथी। परन्तु ये बात भी उतनी ही सच है कि होम्योपैथी शरीर पर बुरा प्रभाव नहीं डालती और किसी भी ऐसी बीमारी में, जिसमें अचानक मौत की संभावना ना बन रही हो, हमें पहली प्राथमिकता होम्योपैथी को देनी चाहिए। वैसे मैंने तो अपनी आँखों से कई केस ऐसे देखे हैं, जिसमें ऐलोपैथी ने हाथ खड़े कर दिए, किन्तु होम्योपैथी ने उन्हें जीवन-दान दिया। मैं आगे कभी उन व्यक्तियों से आपको परिचित करवाउँगी और मुझे शायद ये कहने की जरूरत नहीं होनी चाहिए कि वे आज होम्योपैथी के मुरीद बन चुके हैं।
कुछ लोग ऐलोपैथी के फ़ेल होने पर आज होम्योपैथी की वजह से जीवित हैं! |
मुझे आश्चर्य होगा, अगर आपके मन में अब तक ये बात नहीं आई कि मैं होम्योपैथी की इतनी हिमायत क्यों कर रही हूँ? असल में मेरे पापा होम्योपैथी के डॉक्टर थे और उनके साथ रहकर मैं भी बहुत कुछ इसे जान चुकी हूँ। मैं घर के सदस्यों की छोटी-मोटी बीमारियों पर अस्पताल नहीं भागती और सच कहूँ तो मैं खुद ऐलोपैथी दवा तब तक नहीं लेती, जब तक मेरी सहनशीलता का अन्तिम विकेट ना गिर जाये। अब तो मेरे पड़ौसी भी मुझसे सलाह लेने लगे हैं। आप चाहेंगे, तो आपको भी कुछ-एक सलाह दे दूँगी। .. :))
वैसे होम्योपैथी पर ये मेरी पहली और आखिरी पोस्ट नहीं है; अभी बहुत कुछ है इसके बारे में, जो मुझे आपको बताना है। इसे आपके भी प्यार की जरूरत है। मैं अपनी इस प्यारी सखी को धीरे-२ मौत के आगोश में जाते नहीं देख सकती। फ़िर मिलती हूँ आपसे, विदा!
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