tag:blogger.com,1999:blog-7737398474970379834.post1691115522901178276..comments2023-07-01T19:32:38.059+05:30Comments on नीड़ का निर्माण फिर-फिर...: नारी स्वातंत्र्य के असली मायने...डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन'http://www.blogger.com/profile/04502207807795556896noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-7737398474970379834.post-79507581322072461492012-08-26T00:28:45.725+05:302012-08-26T00:28:45.725+05:30आज के नारी की दशा और दिशा को बयां करता हुआ ,,,उत्क...आज के नारी की दशा और दिशा को बयां करता हुआ ,,,उत्कृष्ट लेख |मन्टू कुमारhttps://www.blogger.com/profile/00562448036589467961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7737398474970379834.post-57090307072235797942012-08-25T10:09:56.761+05:302012-08-25T10:09:56.761+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति!बहुत सुन्दर प्रस्तुति!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7737398474970379834.post-55746327998517622092012-08-23T19:00:25.667+05:302012-08-23T19:00:25.667+05:30बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
बधाई
इंडि...बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....<br />बधाई<br /><a href="http://indiadarpan.blogspot.com" rel="nofollow"><br />इंडिया दर्पण</a> पर भी पधारेँ।India Darpanhttps://www.blogger.com/profile/14088108004545448186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7737398474970379834.post-30269693264416301412012-08-22T11:31:21.340+05:302012-08-22T11:31:21.340+05:30दोनों के समझ बुझ की बात है न कोई स्वतंत्र है न गुल...दोनों के समझ बुझ की बात है न कोई स्वतंत्र है न गुलाम | दोनों की परेशानिया एक जैसी है | सशक्त जागरुक कराती लेख | लगी रहें G.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7737398474970379834.post-63783093490732550282012-08-16T09:33:03.517+05:302012-08-16T09:33:03.517+05:30महोदय,
आपने नारी दुर्दशा के असली कारणों पर प्रकाश ...महोदय,<br />आपने नारी दुर्दशा के असली कारणों पर प्रकाश डालने की बात कही, तो मुख्य वजह तो ये है कि हम नारी को एक इन्सान ही नहीं समझते, हम ये नहीं समझते कि वो भी अपने निर्णय स्वयं ले सकती हैं...समाज ने नारी के लिए एक आचार-संहिता तैयार कर रखी है, कोई भी स्त्री उससे ज़रा डिगी नही कि हम उस पर लांछन लगाना शुरू कर देते हैं... वैसे नारी के उत्थान के लिए कुछ करने की जरूरत है ही नहीं... जरूरत है तो बस अपना नजरिया और अपनी सोच बदलने की... नजरिया कैसे बदलेगा, इसका स्पष्ट उल्लेख मैं अपने लेख में कर चुकी हूँ...अगर आप समाज के नजरिये को बदलने में कोई योगदान कर सकते हैं, तो अवश्य करिए... वैसे मैं समाज के हर व्यक्ति से यही आशा रखती हूँ, चाहे वो स्त्री हो या पुरुष...<br />आपकी इस प्रेरणास्पद टिप्पणी के लिए ह्रदय से आभार... इस तरह की टिप्पणियां ही सार्थक लेखन की ओर प्रेरित करती हैं...डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन'https://www.blogger.com/profile/04502207807795556896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7737398474970379834.post-21158844333965462202012-08-15T08:31:07.536+05:302012-08-15T08:31:07.536+05:30मैडम समस्या कानून और संविधान नहीं, बल्कि समाज के औ...मैडम समस्या कानून और संविधान नहीं, बल्कि समाज के और धर्म के ठेकेदार हैं! जिनकी "कंडिशनिंग" तोड़े बिना आपकी "कंडिशनिंग" तोड़ने से क्या हासिल होगा? यदि केवल नारी की "कंडिशनिंग" तोड़ने से ही बदलाव आना होता तो आज ये लेख लिखने की कहाँ जरूरत थी?डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttps://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7737398474970379834.post-64086424571282361992012-08-15T08:23:39.958+05:302012-08-15T08:23:39.958+05:30"......सबसे बड़ी बात क्या वो पढाई करने, नौकरी..."......सबसे बड़ी बात क्या वो पढाई करने, नौकरी करने, विवाह करने जैसे निर्णय स्वयं ले सकती है...? नहीं ना...? फिर किस मायने में आप कह सकते हैं कि आज नारी स्वतन्त्र है...?..."<br /><br />आपके आलेख की उक्त पंक्तियों ने मुझे टिप्पणी करने को उत्साहित किया है! लेख में आपने नारी और समाज की व्यावहारिक सच्चाई को लिखने और स्वीकार करने का सच्चा प्रयास-साहस किया है! समाधान भी आपने निम्न पंक्तियों में सुझाया है-<br /><br />"... बस हमें अपना नजरिया भर बदलने की देर है, नजारा अपने-आप बदल जायेगा....."<br /><br />लेकिन आप नारी की दुर्दशा के असली कारणों पर भी कुछ सच्चाई लिखती तो मुझ जैसे लोगों के लिए कुछ प्रेरणा मिलती जो इस बात पर काम कर रहे हैं कि आखिर ऐसी कितनी प्रबुद्ध नारियां हैं जो अपनी परतंत्रता, असमानता और शोषण के अलसी कारणों को जानती और समझती हैं? क्योंकि जब तक आसली कारणों को नहीं समझा जायेगा, तब तक निवारण असंभव है! <br /><br />डॉ. गुंजन जी आपके प्रस्तुत आलेख पर टिप्पणी करने वाला शायद मैं पहला पुरुष हूँ! नारी मन के बारे में पुरुषों में तरह-तरह की भ्रांतियां हैं, उसी प्रकार से स्वयं नारी मन में भी नारी मन और नारी ह्रदय के बारे में तरह-तरह के आग्रह और पूर्वाग्रह हैं! इन सबको हमने अपने अवचेतन मन में स्थान दिया हुआ है! जिसके लिए कौन कारक या जिम्मेदार है-एक पंक्ति या एक टिप्पणी में कह पाना या लिख पाना सहज या सरल नहीं है, फिर भी मैं इतना जरूर कह सकता हूँ कि-<br /><br />"वे हालात जिनमें नारी और पुरुष का समाजीकरण होता रहा है या किया जाता रहा है या किया जाने का सामाजिक और तथाकथित धार्मिक ग्रंथों में उपदेश के नाम पर निर्देश दिया जाता रहा है, मूलत: सब कुछ के लिए जिम्मेदार हैं!"<br /><br />ऐसा मेरा स्पष्ट रूप से मानना है! इन कारणों को एक व्यक्ति (नारी या पुरुष) या कुछ के नजरिया बदलने से साथी तौर पर नहीं बदला जा सकता! जबकि इसे पूरी तरह से बदलने की जरूरत है!<br /><br />इसके लिए सबसे पहले-<br /><br />"उन कारणों को समूल समाप्त, बल्कि नष्ट करने की दिशा में सार्थक और कठोर कदम अनेक स्तरों पर उठाने होंगे, तब शायद कुछ वर्षों में वह परिवर्तन आये जो आपकी और हर प्रबुद्ध नारी की आत्मिक आकांक्षा है और जो सच में जरूरी भी हैं!"<br /><br />एक सकारात्मक लेख लिखने के लिए साधुवाद!<br /><br />शुभकामनाओं सहित<br /><br />डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'<br />0141-2222225, 9828502666डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttps://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7737398474970379834.post-14755587504978360802012-08-15T00:42:53.366+05:302012-08-15T00:42:53.366+05:30बहुत बढ़िया आलेख. स्त्री-विमर्श की बातें होती हैं ...बहुत बढ़िया आलेख. स्त्री-विमर्श की बातें होती हैं और हर समाज में होती आयी है. स्त्री को पुरुष के बराबर सारे कानूनी हक मिले लेकिन वास्तविकता ये है कि स्त्री आज़ाद नहीं हुई है और मुमकिन भी नहीं कि आज़ाद हो. आज भी कई पाबंदियां हैं जिनको नकारना स्त्री के लिए असंभव है. बदलाव तो बहुत हुए हैं लेकिन हमारी मानसिकता नहीं बदली. जो नज़र आता है वो सब ऊपरी है और महज़ कुछ अपवाद है. सार्थक लेख, शुभकामनाएँ. डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7737398474970379834.post-85903104349083204292012-08-14T16:32:15.640+05:302012-08-14T16:32:15.640+05:30कंडिशनिंग तोडिये , आप स्वतंत्र हैं इस लिये ये लिखन...कंडिशनिंग तोडिये , आप स्वतंत्र हैं इस लिये ये लिखना बहुत गलत हैं की नारी को स्वतंत्रता नहीं मिली हैं<br />पुरुष और स्त्री दोनों के अधिकार समान हैं कानून और संविधान में उन अधिकारों का प्रयोग करिये बस रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7737398474970379834.post-1631515178241338852012-08-14T16:22:20.591+05:302012-08-14T16:22:20.591+05:30कहाँ है स्वतंत्रता ? जो खुलकर चलती हैं , बोलती है ...कहाँ है स्वतंत्रता ? जो खुलकर चलती हैं , बोलती है ... बोलती जाती हैं , उनसे पूछे कोई कि दिल पर हाथ रखकर कहो क्या तुम स्वतंत्रता महसूस कर पाती हो या जिद्द में तीखे वाक्यों से हुए आहत मन को एक मुखौटा देती हो ....रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com